आप हमेशा खुश नहीं रह सकते, रहना भी चाहें तो वो आपको रहने नहीं देगी। वही जिसे हम सब जिंदगी कहते हैं। सुबह आपके चहरे पर मुस्कराहट हो और दोपहर होते ही वो आंसुओं में बदल जाए, ऐसा होता है। बारिश के मौसम को गौर से देखिये, कब धूप निकल आएगी, कब बादल घिर आयेंगे और बरसने लग जायेंगे; सही-सही तो मौसम भविष्यवक्ता भी नहीं बता पाएंगे। खैर, अभी जब मैं ये लिख रहा हूँ तो आसमान में बड़ी तीखी वाली धूप खिली हुई है, बारिश वाली धूप जो बहुत चुभती है एकदम यादों की तरह। ऐसी यादें जो हैं तो बहुत प्यारी, जिन्हें आप याद करके सबके साथ खुश भी हो सकते हैं और अकेले में रो भी सकते हैं। बादल भी रोते हैं पर उनके रोने को हम बारिश कहते हैं, किसकी याद में रोते हैं ये तो नहीं मालूम पर इतना मालूम है कि शायद धूप भी उन्हें मीठी यादों की तरह चुभती होगी तब आंसू निकल आते होंगे। आज जब स्टूडियो की खिड़की से देख रहा था तो थोड़ा उदास था क्योंकि एक साथ बहुत सारे लोगों कि कमी अचानक से महसूस कराने में जिंदगी जुटी हुई थी। पहले बूंदा-बंदी और फिर ज़ोरदार बारिश भी शुरू हो गई थी, स्टूडियो के बाहर बादल बरस रहे थे और अन्दर मेरी आँखें। बादलों का तो नहीं पता पर मुझे अपना दोस्त याद रहा था, "विकास"। थोड़ी देर के लिए ही सही, मैं स्वार्थी हो गया था। यही सोच रहा था कि वही क्यों, मैं क्यों नहीं। कुछ साल पहले मेरा बड़ा भाई और अब कुछ दिन पहले मेरा दोस्त। दोनों एक ही जगह चले गए, दोनों का स्नेह तो मेरे लिए था पर टेलेंट दुनिया के लिए और मुझे ये भी लगता है कि दोनों जिस जगह पर हैं, वहां से मेरी जिंदगी बनाने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। जिस ऊपर वाले ने उन्हें बुलाया है उसकी नाक में ज़रूर दम करेंगे और थक-हारकर दुनिया को चलाने वाला भी उनके इशारों पर चलेगा। जो लोग उन दोनों को जानते हैं वो मेरी बात से ज़रूर सहमत होंगे। कभी-कभी ऐसा लगता है कि दुनिया चलाने वाला इस दुनिया के हाल और हालत से बड़ा खुश है तभी तो ऐसे दो लोगों को अपने पास बुला लिया जो उसकी सल्तनत के लिए खतरा थे। दोनों के गजब का जोश पूरी दुनिया पर भारी पड़ने वाला था। इस दुनिया की सल्तनत का मालिक बड़ा डरपोक है और स्वार्थी भी। मेरा ख्याल तो आया ही नहीं, तन्हा कर दिया। अब ऐसा कोई नहीं है जो मेरे साथ स्याह रात में वक्त बे वक्त निजी जिंदगी से लेकर दुनियादारी की बातों पर चाय की भाप और सिगरेट का धुँआ उड़ा सके। किससे उम्मीद करूँ, इस दुनिया का मालिक तो अपनी ही बनाई बेशकेमती चीज़ों का कलेक्शन करने में लगा हुआ है। शायद इस दुनिया को मिटाने के पहले अपनी कुछ नायाब चीज़ों को समेटकर दूसरी दुनिया बनने की तैयारी में लगा है वो। पर इतनी भी क्या जल्दी है इस दुनिया को मिटाने की, कि हम लोगों के आंसू देखने की भी फुर्सत नहीं है उसे?Labels: pushphar surya, vikas parihar