गुमनाम रिश्ता

जिंदगी में बहुत रिश्ते देखे हैं,
बेटे का माँ-बाप से,
भाई का भाई-बहिन से,
दोस्ती का दोस्तों से,
प्रेमी का प्रेमिका से,
इन रिश्तों में,
जब कभी झगड़ा होता है,
तो रिश्तों के दरमियाँ,
लकीर खिंच जाती है,
लेकिन एक रिश्ता ऐसा भी,
देख रहा हूँ,
जहाँ,
तमाम झगड़ों के बावजूद,
न तो मैं लकीर खीच पाया,
न ही वो,
और ताज्जुब की बात ये है,
कि इस रिश्ते का कोई नाम नहीं...

Labels: