मैं हिरोशिमा हूँ

मैं वो हिरोशिमा हूँ,
जहाँ कई बार परमाणु बरसाया गया,
जो बसने की चाह में उजड़ता गया,

मैं वो हिरोशिमा हूँ,
जो कई बार गिरा फिर उठ खड़ा हुआ,
जिसकी ओर हाथ बढा फिर खींचा गया,

मैं वो हिरोशिमा हूँ,
जो धूल के गुबार में भी शादाब रहा,
और रेडियेशन में भी पनपता रहा.

मैं वो हिरोशिमा हूँ,
जिसकी जुस्तजू तो बहुत रहीं,
लेकिन रंज कुछ भी न रहा..

मैं वो हिरोशिमा हूँ,
जिसके अमरीका तो बहुत हुए,
पर नागासाकी न कोई हुआ,

मैं वो हिरोशिमा हूँ,
जिसका परमाणु कुछ न कर सके,
अब किसी मिसाइल से क्या डरना!

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