ग़लतफ़हमी

तुम्हारी दुनिया की रौनक भी मैं,
तुम्हारी साँसों की खलिश भी मैं,
ज़रा सोचकर देखो,
मेरे बगैर तुम्हारी दुनिया कितनी सूनी है!

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