सिगार


जब हाथ में आखिरी सिगार सुलग रहा होता है,
तो मन कहता है कि काश ये थोड़ी देर और सुलगता,
जब तपिश उँगलियों तक पहुँचती है,
तो दिल कहता है कि काश ये आखिरी छोर तक जलता,
पर सिगार को भी पता होता है कि उसे अब बुझना है,
ये ज़िन्दगी भी इसी तरह सुलग रही है,
और कब ये छोर तक आ पहुंचेगी,
पता भी नहीं चलेगा,
इसलिए...हर कश का पूरा मज़ा लो,

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