जाम

मैं इक प्याला हूँ ज़िन्दगी का,
और खालीपन से भरा बैठा हूँ,
मेरी तन्हाई के लम्हे डूबे हुए हैं इसमें,
जो बर्फ की तरह पिघल भी रहे हैं और घुल भी रहे हैं.

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