भैय्याजी का जन्मदिन

कुछ सालों पहले तक,
आज का दिन,
इतना खाली नहीं होता था,
आज की तारीख लगते ही,
घर का फ़ोन घनघना उठता था,
बधाईयों के कॉल वेटिंग में होते थे,
सुबह,
बाकी दिनों से ज्यादा खुशनुमा होती थी,
स्कूल से आधी छुट्टी से आ जाया करता था मैं,
और फिर,
लग जाते थे हम,
अपने घरों को सजाने में,
क्योंकि,
शाम को,
भैय्याजी का जन्मदिन मानाया जाता था,
उनके और मेरे दोस्तों के साथ,
मोहल्ले के बच्चों को भी बुलाते थे,
जन्मदिन पर,
लेकिन ऐसा,
कुछ सालों पहले होता था,
अब वो नहीं हैं,
सिर्फ,
तारीखें बाकी हैं,
उनके इस दुनिया में आने की,
और
इस दुनिया से जाने की,
आज मैंने माँ-पापा को फोन नहीं किया,
उन्हें लगता होगा कि मैं आज की तारीख भूल गया,
और मुझे लगता है की उन्हें आज का दिन याद नहीं दिलाना चाहिये...

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