गुलज़ार

मैंने सुनी है उनकी,
कम्बल जैसी भारी आवाज़,
जिसे ओढ़ भी लो, बिछा भी लो..
तस्वीरों में देखा है,
उनका बदलता हुआ चेहरा,
और चश्में का फ्रेम भी,
जिसमें दोनों आँखें,
पहले साफ़ दिखाई देती थी,
पर अब बढ़ती उम्र की जड़ों ने,
उन्हें बाजू और ऊपर से,
अन्दर धकेल दिया है,
कभी न पिघलने वाली,
बर्फ़ जैसी सफ़ेदी भी,
दाढ़ी, मूँछ और बालों पर जम गयी है
ये शख्स,
जिसे दुनिया 
"गुलज़ार" के नाम से जानती हैं,
वो अब 78 बरस का हो गया है,
लेकिन उनकी नज़्में,
अब भी जैसी की तैसी हैं,
जैसे बरसों पहले थीं,
अब भी जवाँ दिल, 
गुलज़ार की नज़्में सुनकर,
और जवाँ हो जाते हैं..

"जन्मदिन की शुभकामनायें गुलज़ार साहब"



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