ज़हन

अपने ज़हन में कभी,
जाले-वाले,
धूल-वूल,
लगने मत देना,
और लग जाए,
तो ज़रा,
साफ़-सूफ कर लेना,
बस एक यही तो,
वो महफूज़ जगह है,
जहाँ लोग,
ताउम्र,
सलामत रहते हैं...

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