मसरूफ़ियत
इस एक दुनिया में,
सैंकड़ों दुनिया हैं,
सबकी अपनी-अपनी,
और सब मगन हैं,
अपनी-अपनी दुनिया में,
जैसे तू, वैसे मैं भी...
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nazm