आपबीती

महीनों पहले,
मेरा आसमानी रंग का चश्मा,
खेल-खेल में टूट गया था,
तब से वो टूटा पड़ा हुआ है,
मेज़ की बीच वाली दराज़ में,
उसे जोड़ने की भी कोशिश की,
...फिर नया लेकर आने की भी,
पर कई दफ़ा दुकान के सामने से,
खाली हाथ लौट आया ...
हमारा रिश्ता भी,
खेल-खेल में टूट गया था,
तब से टूटा पड़ा हुआ है,
न उसे कभी जोड़ने की कोशिश की,
और न ही नया बनाने की ...


महीनों पहले,
मेरा आसमानी रंग का चश्मा,
खेल-खेल में टूट गया था,
तब से वो टूटा पड़ा हुआ है।

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