न कोई नज़्म है
न कोई इश्तिहार ही
ये दीवार भी
मेरे दिल की तरह
खाली ही है
नज़दीक आकर देखो तो
शायद कुछ महीन दरारें
दिख भी जाएँ
दिल में भी
और दीवार में भी...
Labels: chakresh surya, chakresh surya nazm, facebook, facebook post, facebook wall, fb, hindi poem, फेसबुक कविता, फेसबुक नज़्म, हिन्दी नज़्म