एक बात जो कल अपने मित्र के साथ चर्चा करने पर सामने आयी वो ये कि आप अपराधियों को "जेल" यानी "बंदी सुधार गृह क्यूँ भेजते हैं?" ज़ाहिर सी बात है कि उस अपराधी को सुधरने का मौक़ा देने और साथ ही उसे दण्ड देने के लिये। क्या सलमान खान में अब भी अपराधी प्रवृत्ति है? क्या वो उस हादसे के बाद भी शराब पीकर गाड़ी ड्राइव करते हैं? क्या सलमान के व्यवहार में सुधार की आवश्यकता है? आपके मन में शायद ये सवाल आ रहा हो कि ठीक है उनमें अपराधी प्रवृत्ति नहीं है, तो क्या उन्हें सज़ा नहीं होनी चाहिये? तो मेरा मत है बेशक़ होनी चाहिये लेकिन आप ये बताईये कि जेल में पहले से वो लोग मौजूद हैं जिनमें सुधार की आवश्यकता है। ऐसे लोग जो ह्त्या, लूटपाट, डकैती और बलात्कार के जुर्म में दण्ड भुगत रहे हैं। ऐसे में एक सामान्य और अच्छी सोच के व्यक्ति के मनोविज्ञान पर क्या प्रभाव पड़ेगा? उसके साथ बाक़ी अपराधी किस तरह से पेश आयेंगे? पाँच साल में सोच ही नहीं पूरा व्यक्ति बदल जाता है। विद्वान कहते हैं कि अच्छाई जब बुराई के घर जाती है तो संक्रमित होकर लौटती है। कहीं सलमान भी अपराधी बनकर लौटे तो ये इंसानियत की हार होगी। दण्ड देना है तो उसके लिए "कम्युनिटी सर्विस" जैसे रास्ते अभी भी खुले हुए हैं। ये मेरा व्यक्तिगत मत है और मुझे अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता उसी सम्विधान ने दी है जिसके आधार पर इस देश की क़ानून और न्याय व्यवस्था है। मैं सम्विधान और न्यायपालिका का भी सम्मान करता हूँ। यदि आप मेरे तर्क़ से सहमत हैं तो इसे उन लोगों तक पहुँचायें जो सलमान की फ़िल्म देखकर कल तक सिनेमा में सीटी और ताली मारते थे लेकिन आज सलमान के इन हालातों पर जोक मार रहे हैं।
#BeingHuman
#ISupportHumanity
#ISupportSalman
#chakreshsurya.blogspot.com
Labels: being human, hit and run case, salman arrest, salman khan, सलमान खान