साहिबा
तमाम उम्र की दोस्ती लेके वादे में
तन्हाईयों से राबता मेरा करा गया
जो शख्स़ दिखता था चाँद में पहले
जाने गुम कहाँ बादलों में हो गया।
Labels:
Friendship
,
Hindi Poetry
,
hindi sher
,
Love Shayari
,
Mirza-Sahiba
,
shayari