उसने पूछा - सीधे घर जाओगे?
मैंने कहा - मेरे घर के रास्ते पे पहले मयकदा पड़ता है, फिर बुतख़ाना, फिर दोस्त का घर, फिर अहाता और फिर मेरा घर।
वो हँसते हुए चली गयी और मैं अब तक घर नहीं पहुँच पाया।
Labels: Meeting, Short story, जाते-जाते, मुलाक़ात, लघु कथा, हिंदी कहानी