विरोध के स्वर

आप अराजकता की बात करते हैं,
मैं सुधार की कोशिश करता हूँ,
आप शायद डरते हैं सरकार से
मैं डर का तिरस्कार करता हूँ,
आप जीते हैं आँख बचाकर सत्य से
मैं सत्य से दो-दो हाथ करता हूँ
आप बचते रहते हैं समस्याओं से
मैं उनका प्रतिकार करता हूँ
आप चाहते हैं सिर्फ़ बात छेड़ना
मैं युद्ध के लिए ललकारता हूँ
आप चाहते हैं मसीहा कलयुग में
मैं मसीहों का निर्माण करता हूँ

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